उत्तराखंड- राज्य और 15वें वित्त के वितरण में पक्षपात, जिला पंचायत सदस्य का इस्तीफा

उत्तराखंड में पंचायतों का कार्यकाल समापन होने से 19 दिन पहले मुनस्यारी के सरमोली वार्ड के जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने कहा कि राज्य वित्त तथा 15 वें वित्त के बजट के वितरण में उनके क्षेत्र के साथ गंभीर पक्षपात किया गया है। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत के निर्माण सहित बनी समस्त समितियों के  सदस्य आंखों में काली पट्टी बांधकर अपने क्षेत्र के साथ-साथ हमारे साथ में अन्याय करवा रहे है।

जिला पंचायत सदस्य जगत मर्तोलिया ने अपना त्यागपत्र जिला पंचायत अध्यक्ष दीपिका बोहरा को आज ईमेल के माध्यम से भेज दिया।  उन्होंने कहा कि 5 साल के कार्यकाल में जिला पंचायत में बिना बैठक के बनी निर्माण सहित अन्य समिति के सदस्य आंखों में काली पट्टी बांधकर इस मनमानी के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलते।

उन्होंने कहा कि बीते जिला पंचायत की बोर्ड की बैठक में जब अपर मुख्य अधिकारी से कहा कि इन समितियों में कौन- कौन सदस्य है, उनके नाम सदन में रखे जाए। जब नाम पुकारे गए तो अधिकांश सदस्यों को पता ही नहीं था कि वह किसी समिति के सदस्य है।

उन्होंने कहा कि इन समितियों के सदस्यों के कारण हम जैसे सदस्यों के साथ भी राज्य वित्त और 15 वें वित्त के वितरण में अन्याय हो रहा है। उन्होंने कहा कि इन समितियों के सदस्यों का नाम सार्वजनिक किया जाएगा ताकि इनके मतदाताओं को पता चले किन सदस्यों ने अपने क्षेत्र के साथ धोखा किया है।

उन्होंने अपने त्यागपत्र में आरोप लगाया है कि राज्य वित्त तथा 15 वें वित्त के बजट का अमाउंट ही बोर्ड में रखा जाता है। जबकि समस्त योजनाएं को नाम तथा राशि के साथ बोर्ड से पास की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि जिला पंचायत नियमावली के अनुसार उक्त बजट अध्यक्ष की निधि नहीं होती है। उन्होंने कहा कि सम्पूर्ण बजट पर बोर्ड तथा गठित समितियों का अधिकार होता है।

जिला पंचायत अध्यक्ष इस बजट की घोषणा भी नहीं कर सकती है। नियमों के विरुद्ध केवल जिले के आठ में से एक विकासखंड पिथौरागढ़ में ही सर्वाधिक बजट लगाया गया है। उन्होंने सवाल उठाया कि  पत्रांक 976, दिनांक 6 नवम्बर 2024 को प्राविधिक, तकनीकी, वित्तीय, प्रशासनिक स्वीकृति की

प्रतिआशा में 159.72 करोड़ रुपए की निविदा किसके हित में आमंत्रित की गई है।

उन्होंने कहा कि इस वर्ष के राज्य वित्त एवं 15 वें वित्त के बजट वितरण में पक्षपात की सीमा को भी लांग दिया गया है।

उन्होंने कहा कि इस त्यागपत्र में  जिला पंचायत में चल रहे नियम विरुद्ध मामलों का खुलासा नहीं कर रहे है। इस पक्षपात के खिलाफ सड़क से लेकर न्यायालय तक संघर्ष किया जाएगा।