उत्तराखंड में रजिस्ट्री फर्जीवाड़े की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) ने गोल्डन फॉरेस्ट की हजारों हेक्टेयर सरकारी जमीन को फर्जी तरीके से बेचने के मामले का खुलासा किया है। जांच में सामने आया है कि गोल्डन फॉरेस्ट की पूरी जमीन राज्य सरकार के अधीन थी, लेकिन सरकारी कब्जा लिए बिना ही इस जमीन को अवैध रूप से बेच दिया गया।
एसआईटी की रिपोर्ट के अनुसार, गोल्डन फॉरेस्ट की 4000 एकड़ से अधिक सरकारी जमीन विशेषकर विकास नगर, मिसरास पट्टी, मसूरी और धनोल्टी सहित आसपास के क्षेत्रों में स्थित है। इस जमीन की अवैध बिक्री के मामले में राजस्व कर्मियों की संलिप्तता की भी जांच की जा रही है। रिपोर्ट के आधार पर पांच नए मुकदमे दर्ज किए गए हैं।
रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ है कि गोल्डन फॉरेस्ट की जमीनों पर कब्जे के चलते राजस्व विभाग ने विभिन्न सरकारी विभागों को काफी जमीन आवंटित कर दी थी। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस पर रोक लगा दी है। एसआईटी के विशेष कार्याधिकारी अजब सिंह चौहान ने बताया कि हजारों हेक्टेयर भूमि जो पहले ही गोल्डन फॉरेस्ट को बेची जा चुकी थी, उसे अन्य व्यक्तियों को भी बेचा गया। यह सब साजिश के तहत किया गया था, जिसमें गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया ने कोई आपत्ति नहीं जताई।
एसआईटी ने आरोप लगाया है कि एक ही भूमि को कई बार बेचने के लिए एक सिंडिकेट काम कर रहा था। इस मामले में एक ही भूमि को कई व्यक्तियों को बेचे जाने के मामले भी सामने आए हैं, और इसमें आपसी सांठगांठ की भी संभावना जताई जा रही है। रिपोर्ट में राज्य सरकार को नुकसान पहुंचाने की नीयत से गोल्डन फॉरेस्ट की जमीन को बेचा गया बताया गया है।
एसआईटी ने इस मामले में राजीव दुबे, विनय सक्सेना, रविंद्र नेगी, संजय कुमार, रेणू पांडे, अरुण कुमार और संजय घई के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की है।