सर्वोच्च न्यायालय ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सोमवार को निर्णय सुनाया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी (फोटो और वीडियो) को डाउनलोड करना और अपने पास रखना एक गंभीर अपराध है। इस फैसले ने मद्रास हाईकोर्ट के पूर्व निर्णय को पलट दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि कानून के अनुसार, चाइल्ड पोर्नोग्राफी से संबंधित सामग्री को मोबाइल, टैबलेट या लैपटॉप में रखना भी अपराध की श्रेणी में आता है। कोर्ट ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि POCSO अधिनियम में संशोधन कर चाइल्ड पोर्नोग्राफी के बजाय “बाल यौन उत्पीड़न और शोषण सामग्री (सीएसएईएम)” का उपयोग किया जाए।
यह निर्णय उस समय आया है जब मद्रास हाईकोर्ट ने पहले कहा था कि किसी के व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस पर बाल पोर्नोग्राफी डाउनलोड करना या देखना कोई अपराध नहीं है। अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट संदेश दिया है कि चाइल्ड पोर्नोग्राफी के मामलों में कोई भी संवेदनशीलता स्वीकार नहीं की जाएगी।