बनभूलपुरा हिंसा मामले में मुख्य आरोपी की जमानत याचिका हाईकोर्ट में खारिज

नैनीताल हाईकोर्ट ने बनभूलपुरा हिंसा के आरोपी अब्दुल मलिक की जमानत याचिका पर सुनवाई के बाद, खंडपीठ के समक्ष अपील दायर करने की छूट दी है। सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि इस मामले में यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) लागू है, और इसलिए इसे खंडपीठ द्वारा सुना जाएगा।

हाईकोर्ट में बनभूलपुरा हिंसा के मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक की जमानत प्रार्थना पत्र पर सुनवाई के बाद, न्यायमूर्ति रविंद्र मैठाणी की एकलपीठ ने निर्णय को इस विधिक प्रश्न पर सुरक्षित रख लिया था कि क्या इस मामले की सुनवाई एकलपीठ करेगी या खंडपीठ। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जमानत दिए जाने या नहीं दिए जाने का प्रश्न नहीं है; बल्कि यह तय करना है कि यूएपीए (अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट) से संबंधित मामलों की सुनवाई उच्च न्यायालय की खंडपीठ करेगी या एकलपीठ।

कोर्ट ने सोमवार को निर्णय देते हुए कहा कि इस प्रकरण की सुनवाई खंडपीठ करेगी और इस आधार पर जमानत याचिका को निस्तारित करते हुए खंडपीठ के समक्ष अपील दायर करने की छूट दी है।

पूर्व में सुनवाई के दौरान, राज्य सरकार ने तर्क दिया था कि यूएपीए के तहत मामला दर्ज होने के कारण इस केस को खंडपीठ ही सुनेगी। सरकार ने यह भी बताया कि खंडपीठ यूएपीए से संबंधित मामलों की सुनवाई कर चुकी है।

वहीं, आरोपी की ओर से दलील दी गई कि मामले की जांच नियमित पुलिस ने की है, न कि एनआईए ने। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के कई निर्णय प्रस्तुत किए और तर्क किया कि खंडपीठ उन मामलों की सुनवाई करती है जिनमें एनआईए ने जांच की हो और विशेष अदालत ने खारिज किया हो। सेशन कोर्ट ने जमानत याचिका खारिज की है और मामले की जांच रेगुलर पुलिस ने की है।

सरकार ने यह भी कहा कि आरोपी के खिलाफ यूएपीए की गंभीर धाराओं में मामला दर्ज है और वह दंगों के मुख्य आरोपियों में से एक है, इसलिए एकलपीठ इस मामले की सुनवाई नहीं कर सकती।