मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य स्थापना के लिए 1 सितंबर 1994 को ऊधमसिंह नगर जिले में शहीद हुए आंदोलनकारियों के शहादत दिवस पर खटीमा में मुख्य चौराहे के पास स्थित शहीद स्थल पहुचकर शहीदो की मूर्तियों का माल्यर्पण कर श्रंद्धाजलि अर्पित की और शहीदों के परिजनों को शॉल ओढ़ाकर सम्मानित किया।
उत्तराखंड राज्य के निर्माण लिए हुए आंदोलन में 1 सितंबर 1994 के दिन उधम सिंह नगर जनपद के खटीमा नगर में निहत्ते राज्य आंदोलनकारीयो पर चलाई गई गोलियों ने सात आंदोलनकारियों की शहादत ले ली थी। उन सात आंदोलनकारी की याद में हर वर्ष 1 सितंबर को खटीमा गोली कांड की वर्षगांठ के अवसर के रूप में मनाया जाता है इस वर्ष भी खटीमा नगर के मुख्य चौराहे पर नवनिर्मित शहीद स्मारक में शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर स्वयं प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शहीद स्मारक में स्थापित की गई शहीदों की प्रतिमाओं का अनावरण किया और माल्यार्पण कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि आज का दिन प्रसन्न होने का दिन नहीं है, क्योंकि आज हम उत्तराखंड की नींव रखने वाले उन महान लोगों को याद कर रहे हैं जिन्होंने उत्तराखंड निर्माण के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
कहा कि शहीद आंदोलनकारियों ने बहनों की राखियों, मां की ममता को छोड़कर राज्य निर्माण में सर्वाेच्च बलिदान दिया। उन्होंने कहा कि हमारे बेहतर भविष्य के लिये इन हुतात्माओं ने अपना वर्तमान और भविष्य दोनों कुर्बान कर दिए । उन्होंने कहा उत्तराखण्ड की जनता इन वीरों की आजन्म ऋणी रहेगी । जिनकी शहादत के परिणाम स्वरुप हमारे इस राज्य का गठन हुआ है। उन्होंने कहा कि हमें यह याद करने की आवश्यकता है कि आखिर क्यों इन महान लोगों ने राज्य निर्माण के लिए स्वयं का बलिदान दिया।
मुख्यमंत्री ने उपस्थित जन समूह को संबोधित करते हुए कहा कि हमारा लक्ष्य है कि हम राज्य निर्माण के लिए अपनी शहादत देने वाले शहीदों के सपनों को सच करने वाले उत्तराखंड राज्य का निर्माण करें और हम इसके लिए लगातार काम भी कर रहे हैं यह हमारे लिए गर्व की बात है कि आज हम राज्य निर्माण के लिए अपनी आहुति देने वाले शहीदों को सम्मानित कर पा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि इन महान लोगों ने स्वयं का बलिदान इसीलिए दिया कि उन्हें लगता था कि उत्तराखंड अलग राज्य बनकर ही सच्चे अर्थाे में उनके सपनों को पूरा कर सकता है। उन्होंने कहा कि स्वयं एक आंदोलनकारी होने के नाते आंदोलनकारियों के परिवार की पीड़ा समझ सकता हूं। खटीमा गोलीकांड को याद कर आज भी खटीमा वासियों सहित पूरे उत्तरखण्ड के लोगों का दिल सहम जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य निर्माण के लिए सबसे पहली शहादत खटीमा की धरती पर दी गई थी और इस शहादत के फलस्वरूप हम पृथक राज्य के रूप में अपनी अलग पहचान बना पाएं हैं, जो खटीमावासियों के लिए गर्व की बात है।
कार्यक्रम में केंद्रीय पर्यटन एवं रक्षा राज्य मंत्री अजय भट्ट,खटीमा विधायक भुवन कापडी, नानकमत्ता विधायक गोपाल सिंह राणा,काशी सिंह ऐरी, पूर्व सांसद महेन्द्र पाल दान सिंह रावत पूर्व चेयरमैन राज्य सहकारी बैंक उत्तराखंड, भाजपा प्रदेश कार्यकारिणी सदस्य रमेश चंद्र जोशी, हुकुम सिंह कुंवर, दर्जा राज्यमंत्री अनिल कपूर डब्बू, पूर्व मंडी चेयरमैन नन्दन सिंह खड़ायत ,पूर्व मंडी चेयरमैन किच्छा कमलेंद्र सेमवाल ,भाजपा जिलाध्यक्ष कमल जिन्दल ,नरेश चंद शहीद गोपी चंद के परिजन, मोहन पाठक हल्द्वानी , कैलाश तिवारी रानीखेत,मोहिनी पोखरिया, प्रदेश उपाध्यक्ष महिला मोर्चा , भगवान जोशी वरिष्ठ राज्य आंदोलन कारी, हरीश जोशी, समेत खासी तादात में लोग मौजूद रहे।