

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने नैनीताल में नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी मोहम्मद उस्मान के पुत्र मोहम्मद रिजवान खान को बड़ी राहत दी है। उच्च न्यायालय ने पीडब्ल्यूडी के अपर सहायक अभियंता मो. रिजवान के स्थानांतरण आदेश में की गई विभागीय टिप्पणियों को हटाने का आदेश दिया है। यह मामला उच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश मनोज कुमार तिवारी और आशीष नैथानी की खंडपीठ में सुनवाई के दौरान सामने आया।
याचिकाकर्ता मोहम्मद रिजवान खान उत्तराखंड पीडब्ल्यूडी में अपर सहायक अभियंता के पद पर कार्यरत हैं। उन्होंने दंडात्मक और कलंकपूर्ण स्थानांतरण आदेश को चुनौती दी थी, जिसके तहत उन्हें प्रशासनिक आधार पर पीडब्ल्यूडी निर्माण प्रभाग खटीमा से अस्थाई रूप से पीडब्ल्यूडी घनसाली स्थानांतरित किया गया था। याचिकाकर्ता के पिता मोहम्मद उस्मान नैनीताल में हुए एक पोक्सो मामले के आरोपी हैं, और विभाग ने इस घटना को लेकर स्थानांतरण आदेश में प्रतिकूल टिप्पणियां की थीं।
याचिकाकर्ता ने अदालत के समक्ष यह दलील दी कि उत्तराखंड स्थानांतरण अधिनियम 2017 की धारा 18(4) का उल्लंघन हुआ है। उन्होंने कहा कि एक सरकारी कर्मचारी के रूप में स्थानांतरण से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन प्रशासनिक आधार पर किए गए स्थानांतरण में “कार्य में शिथिलता” और “वरिष्ठों के आदेशों का पालन न करना” जैसे आरोप लगाना गलत था।
अदालत ने याचिकाकर्ता की याचिका स्वीकार करते हुए आदेश दिया कि विभाग द्वारा किए गए सभी प्रतिकूल टिप्पणियों को हटाया जाए और स्थानांतरण आदेश में की गई विभागीय टिप्पणियों को निष्प्रभावी किया जाए।
उच्च न्यायालय के इस आदेश से मो. रिजवान खान को बड़ी राहत मिली है, क्योंकि अब उनकी विभागीय प्रतिष्ठा पर की गई नकारात्मक टिप्पणी हटाई जाएगी। यह आदेश उन्हें अपने कार्यस्थल पर एक नई शुरुआत करने का अवसर प्रदान करेगा।