उत्तराखंड के पौड़ी जिले की यमकेश्वर तहसील के खाते से लाखों की रकम उड़ाने के मामले में फरार कुख्यात और गैंगलीडर आखिरकार पुलिस गिरफ्त में आ ही गया है। उसे यमकेश्वर थाना पुलिस और सीआईयू की टीम ने बिहार से गिरफ्तार किया गया है। इस कुख्यात पर बिहार व अन्य राज्यों के विभिन्न थानों में हत्या, जबरन वसूली, ठगी समेत कई धाराओं में कई मुकदमें दर्ज हैं। सरगना पर 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित किया गया था। पुलिस मामले में दो आरोपियों को गत जनवरी माह में गिरफ्तार कर चुकी है।
सीआईयू प्रभारी उप निरीक्षक कमलेश शर्मा ने बताया कि बीते 20 दिसंबर 2023 को तहसीलदार यमकेश्वर सुधा डोभाल ने थाना यमकेश्वर में शिकायत्री पत्र दिया था। कहा था कि तहसील यमकेश्वर के सरकारी खाते से अज्ञात लोगों ने 13 कूटरचित चेक विभिन्न खाताधारकों के खातों में लगाकर 11.17 लाख रुपये की धोखाधड़ी की। पुलिस ने आईपीसी की धाराओं में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया था।
पुलिस टीम ने सीसीटीवी फुटेज और सर्विलांस के जरिए विगत 26 जनवरी को निहाल सिंहा और रोहिल राज को पटना से गिरफ्तार कर लिया था। जबकि गैंग लीडर गोरे लाल यादव उर्फ दीपक कुमार उर्फ गोरखा निवासी ग्राम हुसैना मेदनी चौक थाना जिला लखीसराय बिहार फरार चल रहा था। आरोपी गिरफ्तारी से बचने के लिए अपने ठिकाने बदल रहा था। पुलिस टीम ने काफी प्रयासों के बाद बुधवार को उसे पटना के कदमकुवा थाना बिहार क्षेत्र से गिरफ्तार कर लिया।
सीआईयू प्रभारी उपनिरीक्षक कमलेश शर्मा ने गिरफ्तार किए गए कुख्यात आरोपी गोरे लाल यादव से हुई पूछताछ का हवाला देते हुए बताया कि आरोपी और उसकी गैंग के सदस्य बैंकों से सरकारी कार्यालयों के खातों के बारे में जानकारी जुटाते थे। इसके बाद उक्त खातों के चेकबुक का क्लोन तैयार कर विभिन्न फर्जी खातों में लगाकर धनराशि निकाल लेते थे और आपस में बांट लेते थे। वह गरीब आदिवासी क्षेत्रों में रह रहे अशिक्षित लोगों को प्रलोभन देकर उनका फर्जी आधार कार्ड तैयार कर सिम कार्ड बनाते थे। साथ ही इसके आधार पर फर्जी खाते खुलवाकर देश के विभिन्न सरकारी विभागों के कार्यालयों के खातों एवं चेकों की जानकारी लेकर घटना को अंजाम देते थे।