उत्तराखंड में गुरु पूर्णिमा पर्व पर श्रद्धालुओं ने जहां गंगा समेत अन्य पवित्र नदियों में आस्था की डुबकी लगाई। वहीं मंदिरों में भी धार्मिक अनुष्ठान आयोजित किए।
गुरू पूर्णिमा पर गंगा नदी में पवित्र डुबकी लगाने के लिए घाटों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु जुटे हैं। बहुत से श्रद्धालु सेवेरे से ही घाटों में आना शुरू हो गये थे और उन्होंने आस्था की डुबकी लगाई। गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा और वेद पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। यह हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्योहार है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार यह त्योहार हर साल के आषाढ़ मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है।
वहीं देहरादून स्थित माता वैष्णो देवी गुफा योग मंदिर टपकेश्वर महादेव में गुरु पूर्णिमा महोत्सव हर्षोल्लास और धूमधाम के साथ मनाई गई। इस अवसर पर हनुमान जी को सिंदूर का चोला चढ़ाकर, नए वस्त्र आभूषण धारण कराए गए विधि विधान से पूजा अर्चना कर संगीतमय सुंदरकाण्ड पाठ, भजन कीर्तन किए गए।
अपने गुरु पुर्णिमा सन्देश में मंदिर के संस्थापक आचार्य डॉक्टर बिपिन जोशी ने कहा गुरु कोई व्यक्ति नहीं गुरु एक सत्ता है, जो मनुष्य को जीवन की राह प्रदान करती है। उन्होंने जन्म देने वाले माता पिता के सम्मान का आह्वान करते हुये, अपने घर को ही आश्रम बनाने का आह्वान किया।