उत्तराखंड में अतिक्रमण पर एक बार फिर बुलडोजर एक्शन हुआ है। पौड़ी गढ़वाल जिले के कालागढ़ शहर में अतिक्रमण हटाने का कार्य 24 दिसंबर से राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (NGT) के आदेशों के तहत शुरू की गई यह कार्रवाई दूसरे दिन भी जारी रही। इस प्रक्रिया के तहत 86 खाली पड़े भवनों को ध्वस्त किया जा रहा है, साथ ही 2018 में अपूर्ण रूप से ध्वस्त किए गए भवनों को भी अब पूरी तरह से गिराया जाएगा। यह कार्रवाई वन विभाग की 57 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त करने और उसे वापस वन विभाग को सौंपने के उद्देश्य से की जा रही है।
कालागढ़ में अवैध निर्माण और अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया दशकों से जारी है। 1982 में वन महकमे ने इस क्षेत्र के उत्तरी हिस्से में बसे आवासों को वन भूमि के तहत चिन्हित करते हुए उन्हें ध्वस्त करने की शुरुआत की थी। इसके बाद से समय-समय पर अतिक्रमण हटाने का कार्य चलता रहा है। अब तक करीब 28 हेक्टेयर भूमि को अतिक्रमण मुक्त कर वन विभाग को सौंपा जा चुका है, जबकि 29 हेक्टेयर भूमि पर कब्जे को हटाने की प्रक्रिया जारी है।
कालागढ़ में अतिक्रमण हटाने की यह कार्रवाई वन कानूनों के तहत की जा रही है। उत्तराखंड में वन कानून 1980 में लागू हुआ था, और इसके बाद से इस क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने का काम शुरू हुआ। विशेष रूप से चिपको आंदोलन के बाद, वनों की रक्षा के लिए कड़े नियम और कानून लागू किए गए, जो आज भी प्रभावी हैं।